पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रीति शर्मा असीम की एक कविता जिसका शीर्षक है “श्री गणेशा":
जय मंगलमूर्ति ...श्री गणेशा ।
जय विघ्न विनाशक। हरो कष्ट कलेशा।।
संपूर्ण विश्व का उद्धार हो।
जीवन का आविर्भाव हो।
विपदा में दुनिया है सारी ।
बस तुम पर आस बंधी भारी।
अब कोरोना का संहार हो जीवन का नवनिर्माण हो ।
जय मंगलमूर्ति ....श्री गणेशा।
जय विघ्न विनाशक हरो कष्ट कलेशा ।
सारी दुनिया थम-सी गई है ।
तेरी करुणा जम-सी गई है।
संकट में शुभ और लाभ है।
व्यवसायों से लक्ष्मी थम-सी गई है।
जय मंगलमूर्ति ....श्री गणेशा ।
करो कृपा अब कल्याण हो। दरिद्रता का कुछ समाधान हो।
रिद्धि-सिद्धि का विस्तार हो। कोरोना का पातक काल हो।
जय मंगलमूर्ति ....श्री गणेशा ।
जीवन का अब विकास हो ।
चिंता का कुछ ह्रास हो ।
शुभ काज का आविर्भाव हो ।
नित नव नवीन संसार है।