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कविता: कभी तो मंजिल मिलेगी (नीलू गुप्ता, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीलू गुप्ता  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “कभी तो मंजिल मिलेगी ":

कभी तो मंजिल मिलेगी

कभी तो यह सफर होगी पूरी,

कभी तो थमेगा बरसना कहर

कभी तो पहुंचेंगे अपने घर।

सोच कर बस इतना ही

चल रहे मजदूर राह पर,

रुक कर भी जब मिला नहीं कुछ

क्यों न लौट जाए अपने आंगन- घर।

सारी फैक्ट्रियां बंद हो गई

मालिकों ने वेतन ही दिया नहीं,

किराए घर के मालिक ने

बिन पैसे रहने भी दिया नहीं।

सड़क पर आ गए मजदूर

बांध कर अपना बोरिया-बिस्तर,

बिन पैसे तो साधन भी न मिला

चल दिए पैदल फिर अपने घर।

ईश्वर को भी रहम न आईं

हर रूप में है इन्हें सताई,

कभी रेल, ट्रक, बसों के नीचे

कफ़न इनका है तैयार करवाई।