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कविता: अधूरे ख्वाब सी जिंदगी (बिंदु अग्रवाल, किशनगंज, बिहार)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
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कभी उगते सूरज सा एहसास,
कभी ढलती शाम सी है जिंदगी।
कभी भटकती राहें,
कभी एक मुकाम सी है जिंदगी।
कभी समंदर सी गहरी,
कभी नदी के बहाव सी है जिंदगी।
कभी पतझड़ की सूखी डाली,
कभी बसंत बहार सी है जिंदगी।
कभी कुछ पाने की जिद,
कभी शांत स्वभाव सी है जिंदगी।
कभी जेठ की तपती धूप,
कभी सावन की फुहार सी है जिंदगी।
कभी अपनों का प्यार,
कभी नफरत की दीवार सी ही जिंदगी।
कभी दोस्ती की मिठास,
कभी दुश्मनी की खटास सी है जिंदगी।
कभी फूलों सी कोमल,
कभी कठोर पाषाण सी है जिंदगी।
कभी अमावश की रातें,
कभी पूनम की चाँद सी है जिंदगी।
कभी मेरी पहचान,
कभी मुझसे अनजान सी है जिंदगी।
पूरी हो जाये तो हकीकत,
वर्ना अधूरे ख्वाब सी है जिंदगी।