पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया की एक कविता जिसका
शीर्षक है “दो लाल फूल”:
आज मैंने दो ।
लाल सुंदर ।
हंसते खिलखिलाते ।
गर्वित हर्षित फूल तोङे ।
मुझे अनुभूति हुई ।
मानो दोनों फूल ।
मुझसे कह रहे हो ।
हमें अपने वंश से पृथक।
मत करो ।
हमारे पालक हमारी ।
विरक्ति सह नहीं पाएंगे ।
हम निवेदन करते हैं ।
हमें अपने पालक से जुड़े ।
रहने दो ।
अल्प होती है ।
उस अल्प आयु तक ।
हमें पालक से जुड़े ।
रहने दो ।
करबद्ध निवेदन करते हैं ।
आपसे हमें मत तोड़ो ।
हमें अपने वंश से जुड़े ।
रहने दो ।
हमें अपने माता-पिता से ।
पृथक मत करो ।