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लघुकथा: प्रेरणा (सीमा गर्ग मंजरी, मेरठ, उत्तर प्रदेश)



पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सीमा गर्ग मंजरी की एक लघुकथा  जिसका शीर्षक है “प्रेरणा":

"अरे नमिता ! आज विद्यालय से छुट्टी देर से हुई थी क्या?

"कब से तेरी राह निहार रही हूँ!

दरवाज़े पर व्याकुलता से प्रतीक्षा करती माँ ने नमिता से पूछा

"हाँ माँ ! आज थोड़ी सी देर हो गयी है । जल्दी से खाना लगा दो ।"

"मेरे पेट में चूहे कूद फांद मचा रहे हैं "।अलमारी में बस्ता रखकर नमिता हाथ धोने के लिए गुसलखाने मेंं दौड गयी ।

जब नमिता भोजन कर चुकी तो उसने बताया कि

 "माँ! आज हमारे विद्यालय में पढाई नहीं हुए थी । आज तो अध्यापिका जी ने संत तुलसीदास जी के जन्मोत्सव पर संतो द्वारा रचित पदों से अकस्मात् भजन गायन प्रतियोगिता रखी थी ।

क्योंकि आज विद्यालय के समिति अध्यक्ष एवं अन्य सभी प्रबंधक महोदय आदि सदस्य उपस्थित थे । "

मैं दो दिन विद्यालय नहीं जा सकी थी इसलिये मुझे कुछ पता नहीं चला था ।

 

मैं गायन प्रतियोगिता में भाग नहीं लेना चाहती थी । परन्तु मेरी संगीत अध्यापिका जी ने मुझे प्रेरित किया और मेरी गायन-शैली की सराहना भी की । मेरे गायन के बाद हमारी अध्यापिका जी एवं अन्य सभी सदस्य आदि बहुत ही प्रभावित हुए हैं । उन्होंने मेरे गायन स्वर लय ताल की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि नमिता का भविष्य गायन क्षेत्र अत्यन्त सुनहरा होगा । आने वाला कल नमिता का होगा । मेरी पीठ थपथपाते हुए कहा कि नमिता का नाम बेजोड़ गायिका और बेहतरीन गायन के लिए जाना पहचाना जायेगा ।

माँ मैने तो बिना किसी पूर्व तैयारी के बहुत सुर लय ताल के साथ मीराबाई का भजन प्रस्तुत किया ।

"पायो जी मैने रामरतन धन पाओ"!

गाया था तो पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा था ।

आज तो मेरी कक्षा अध्यापिका जी ने और अन्य सभी विद्यालय समिति के सदस्यों ने मुझे बहुत अधिक प्रोत्साहित किया है । और अपना असीम आशीर्वाद भी दिया है ।

माँ आज हमारे विद्यालय का नाम राष्ट्रीय स्तर की भजन गायन प्रतियोगिता के लिए चयनित किया गया है ।

माँ से बात करते करते नमिता भविष्य के सुखद सपनों में खो गयी ।