पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार निशा गुप्ता की एक कविता जिसका
शीर्षक है “बिटिया”:
बेटियां जब पटर- पटर बोलती हैं,
तब लगती हैं ये घर की दादी और नानी!
बेटियां बिन बोले ही समझ जाती हैं,
मन की बाते,होती ही है जो इतनी प्यारी!
बेटियां कुदरत की अदभूत रचना हैं,
जग में नहीं बेटियों सी कोई निराली!
मां,बाप,भाई और बहनों की हैं,
ये बेटियां तो सारे घर की है दुलारी!
बेटियां जब मुस्कुराती हैं,
तो घर बन जाता है फूलवारी!
बेटियां ही तो केवल जग में हैं,
जो संभाल सकती हैं दो घरों कि जिम्मेदारी!
क्युकी इन बेटियों में होती हैं,
सारे जहां की बहुत बहुत समझदारी!
बेटियों के रूप में जिसने अनमोल धन है,
पाया, याद रखना कमी नहीं कोई रह
जानी!