पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार बिंदु अग्रवाल की एक कविता जिसका
शीर्षक है “मेरी बिटिया”:
देख के उसके मुखड़े को
दिल बाग-बाग हो जाता है।
उस मधुर मिलन की बेला का
सुखद एहसास हो जाता ह
जब आई मेरी गोद मे बिटिया
छोटी छोटी पलके थी बन्द।
निहार उसे नैना मेरे
मुस्कुरा रहे थे मन्द-मन्द।
खुले आँगन में विचरण करती
मस्त परी सी वह स्वछंद।
पल-पल लख-लख पुलकित होता
भाव विभोर मेरा अंतर मन।
छोटे छोटे अधरों से वह चुम्बन मेरा करती है
नन्हें-नन्हे हाथो से अपनी बाहों में भरती है
स्वर्ग कहि गर है तो
बेटी की आँखों मे देखा है।
बेटी की मुस्कान के आगे
दुनियां का हर सुख फीका है।
दिल बाग-बाग हो जाता है।
उस मधुर मिलन की बेला का
सुखद एहसास हो जाता ह
जब आई मेरी गोद मे बिटिया
छोटी छोटी पलके थी बन्द।
निहार उसे नैना मेरे
मुस्कुरा रहे थे मन्द-मन्द।
खुले आँगन में विचरण करती
मस्त परी सी वह स्वछंद।
पल-पल लख-लख पुलकित होता
भाव विभोर मेरा अंतर मन।
छोटे छोटे अधरों से वह चुम्बन मेरा करती है
नन्हें-नन्हे हाथो से अपनी बाहों में भरती है
स्वर्ग कहि गर है तो
बेटी की आँखों मे देखा है।
बेटी की मुस्कान के आगे
दुनियां का हर सुख फीका है।