पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार पप्पू प्रसाद जयसवाल की एक कविता जिसका
शीर्षक है “नारी का रूप”:
कोमलता का प्रतिरूप है ,
शक्ति का स्वरूप है ,
वह कोई और नहीं ,
नारी का ही रूप है ।
सागर जल के समान ,
ममता सागर को लिए ,
कई रिस्तों को एक साथ ,
अकेले निभाती है नारी ।
विवाह के बंधन में बंध कर ,
अनजान परिवार में आकर ,
मकान को घर बनाकर ,
नये-नये सपनों को संजोती है नारी ।
दर्पन सा रूप लिए ,
सुख-दुःख को भोगते हुए ,
अपनी इच्छाओं को दबाते हुए ,
सबके अनुरूप चलती है नारी ।
माँ की ममता , दीदी का
प्यार ,
बेटी का मान , भाभी का
सम्मान ,
न जाने और कई रूपों में ,
हमारे वह बीच है , हमारे
वह बीच है ।।