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कविता: पक्षी (दिव्या भागवानी “दिव्य श्वेत”, शिवपुरी मध्य प्रदेश)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार दिव्या भागवानी दिव्य श्वेतकी एक कविता  जिसका शीर्षक है “पक्षी":
 

पक्षियों में कोई शैतान नहीं है ,
पक्षियों का कोई खानदान नहीं है ।
सभी रहते हैं एक ही पेड़ पर,
पक्षियों में कोई हिंदू मुसलमान नहीं है।
नहीं होते पक्षियों में जाति धर्म के झगड़े ,
पक्षियों से ज्यादा समझदार इंसान नहीं है ।
जो जला रहे हैं जाति धर्म की अग्नि ,
क्या  उनके दिल में भगवान नहीं है ।
ईश्वर तो एक ही है इस जग में,
इस बात से भी कोई अनजान नहीं है ।
सीखो पक्षियों से सदा चहकना,
उदास बैठे रहने में कोई शान नहीं है।