पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार निशा गुप्ता की एक कविता जिसका शीर्षक है “कविता":
आज फिर शुरू,
हुआ नया जीवन !
कागज पे उतारा है,
जिंदगी कविता के रूप में !
कितनी अधूरी थी,
अब पूरी हुई है !
कविता तू ना होती,
तो कैसे मैं जीती !
अपने जज्बातों को लिखा,
जो कह नहीं सकी
उसे कलम से लिखा !
कागज धन्यवाद तू तो सुना,
दिल को बहुत सुकूँ मिला !
लोग डायरियाँ लिखते हैं,
जिसे बंद अलमारी में रखते है !
मैंने कविता लिखी,
जिसे खुले आम पेश की !
लोगो ने बहुत वाह वाह दिया !!!
कैसे समझाऊं अब उन्हें,
तुमने ही ये हुनर दिया !
तुमने सुना नहीं,
दर्द कही बँटा नहीं !
याद आया फिर,
कलम कागज़ ही सही !
जब से इन हाथों ने,
जुबाँ से नहीं कलम से,
दर्द लिखा कागज पे,
बेज्जती नहीं इज्जत मिला लोगो से !
वाह रे वाह कैसी दुनिया....
यही जुबाँ से कहा होता,
तिरस्कार मिला होता !
अब पुरुस्कार दिया जा रहा !!
जानवर कहने से बुरा मान जाते हैं,
शेर कहने से खुश हो जाते है !
कहवात आज समझ आई !!!