पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रंजना मिश्रा की एक कविता जिसका शीर्षक है “ज्ञान का भंडार":
ज्ञान का भंडार हो तुम
है नमन तुमको सदा
ज्ञान से जग है प्रकाशित
बुद्धि की जड़ता मिटा
जब प्रकाशित बुद्धि
हो जाती है निर्मल ज्ञान से
मुक्त हो जाता ह्रदय है
मूढ़मय अभिमान से
दान देकर ज्ञान का
जग को प्रकाशित कर रहे
मूर्खता अज्ञानता के तिमिर
को तुम हर रहे
इस धरा पर है अलौकिक
तेज निर्मल ज्ञान का
हर विषय की रश्मियों से
बढ़ रहा बल ध्यान का
शांत रहकर गहन अध्ययन
कर रहे हैं गुरु सदा
दे रहे सागर से मोती
लाके हमको सर्वदा
तुम न होते गर जगत में
कौन समझाता हमें
थाम उंगली सत्य पथ पर
कौन फिर लाता हमें
क्या तुम्हें दें दक्षिणा में
मूल्य क्या है ज्ञान का
शीश चरणों में झुका है
ध्यान है बस मान का