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कविता: सबसे बड़ा झूठा शब्द-सब ठीक है (नरेंद्र सिंह, मोहनपुर, अतरी गया, बिहार)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नरेंद्र सिंह  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “सबसे बड़ा झूठा शब्द-सब ठीक है”:
 
सब कुछ गड़बड़
कुछ भी नही ठीक
पर लोगों से पुछो
"क्या हाल है"
फिरभी लोग कहेंगे -
'" सब ठीक है"।
मन विचलित
तन शिथिल
रोग ग्रस्त है
पर पूछे ऐसों से
"क्या हाल है"
वो कहेंगे -
"सब ठीक है"।
घर से निकले बीबी से लड़कर
समस्यायो से लेते टक्कर
जीवन लग रहा घनचक्कर
कोई  पूछे-
"क्या हाल है"
एक ही उत्तर-
"सब ठीक है"।
घर से निकलता
आंसू पोछकर
कि पेट कैसे भरूँ
यह सोचकर
बाहर मित्र मिलता,पूछता-
"क्या हाल है"
बन्दा हंसकर बोलता-
"सब ठीक है"।
जूझ रहे होते अपनो से
भूलना चाह रहे होते बुरे सपनो से
तभी मित्र का फोन आता
"क्या हाल है"
वही उत्तर-
"सब ठीक है"।
बॉस के चैम्बर से निकला
रुआंसे भारी मन से
बाहर सहयोगी पूछा
"क्या हाल है"
डांट खाकर बाहर आया
फिर भी बोला-
"सब ठीक है"।
दुनियां के  सबसे बड़ा
झूठा शब्द है
"सब ठीक है"
"सब ठीक है"।