पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार सीमा गर्ग मंजरी की एक ग़ज़ल:
गुरुदेव ज्ञान ज्योति पुँज जला कीजिए।
चरण कमल में शीश नित धरा कीजिये।।
गुरुदेव मानस मन दर्पण देखा कीजिये।।
अमूल्य शिक्षा देते गुरुवर गुना कीजिये।।
जीवन का मूलमंत्र मान सेवा कीजिये।।
कर्तव्यनिष्ठ आचरण जीवन तपा कीजिये।।
मृगतृष्णा की कीच से दूर बचा कीजिये।।
शिक्षा जीवन का आधार पढ़ा कीजिये।।
निर्झर सरिता सा अविरल बहा कीजिये।।
"सीमा"जीवन सफर यूँ जिया कीजिये।।