पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉ• राजेन्द्र मिलन की एक कविता जिसका शीर्षक है “हालात ए बयां और गुजारिश”:
पानी में इसके
प्रज्वलित है देश प्रेम की ज्वाला ।
सर्वविदित है
भारत का अदभुत अस्तित्व निराला ।
आओ मेरे देशवासियों मिलजुल सभी विचारें ।
बढ़ते असमय अभिशापों को द्दढ़ता से ललकारें ।
स्वतंत्रता पाने से पहले सुंदर स्वप्न संजोए ।
जन-जन में खुशियां लाने को
अनगिन रत्न पिरोए
।
देख रहे सत्तर वर्षों से हम टकटकी लगाए ।
आए कोई तो सुकून की मृदु दुंदुभी सुनाए ।
कायरता की हरक़त
होती रहती सीमाओं पर ।
बेकुसूर मासूम
कोंपलों,बेबस वामाओं पर ।
आतंकी मनहूसों को
अब शौर्य दिखाना होगा ।
उनकी काली
करतूतों को सबक सिखाना होगा ।
भ्रष्टाचारी गद्दारों
मक्कारों-से दुष्टों पर ।
पूर्ण विराम
लगाना होगा इन काले पृष्ठों पर ।
राजनीति की दलदल
में अस्मिता खोजनी होगी ।
मरुथल बंजर बीहड़
में अणुशक्ति रोपनी होगी ।
नैतिकता आदर्शों
के गुज़रे दिन लाने होंगे ।
मानवीय मानस के
उथलेपन गहराने होंगे ।
बहकी लोकतंत्र
गरिमा, को फिर उबालना होगा ।
भारत की पिछली
महिमा को फिर उछालना होगा ।
तब असीम नभ-विशाल सागर पर फहराए तिरंगा ।
मानस में हर भारतवासी के लहराए गंगा ।


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