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कविता: नवरात्रि (महेन्द्र सिंह 'राज', मैढीं, चन्दौली, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
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नवरात्रि  के  नौ  दिन  मां  दुर्गा  की   पूजा  होती   है।
जोसच्चे मनसे पूजा करता मांउनके पापों को धोती हैं।।
 
अलग2  दिन अलग  अलग नामों  से  जानी जाती हैं।
सर्वे  विघ्न  निवारण  करती  सर्व  सिद्धि  की दात्री हैं।।
 
प्रथम दिवस मां शैलपुत्री  शशिदोष निवारण करती हैं।
भक्तों के कल्पित दोषों  को मां पल भर में ही हरती हैं।।
 
द्वितीय तिथि मां ब्रह्मचारिणी की जोमनसे पूजा करता।
माता  मंगल दोष काटती ना वह  मंगल  दोष से डरता ।।
 
तृतीय दिवस मां चन्दघंटा निवारण करती हैं शुक दोष।
राक्षसी प्रवृत्ति ना आने देती ना होने पाता भक्तमदहोश।।
 
चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा का, दूर करती हैं दिनकर दोष।
रवि सम तेज पुंज पाता खुल जाता  उसका भाग्य कोष।।
 
मां स्कंद माता का  पंचम दिन जो उनकी शरण में जाए।
बुद्ध दोष  निवारण हो जाता बद्धि  तीव्र प्रखर हो जाए।।
 
षष्टि तिथि मांकात्यायनीका वृहस्पति दोषना लग पाताहै।
जो भक्त प्रेम से पूजे उनको वृहस्पति सम बुद्धि पाता हैं।।
 
कालरात्रि का सप्तम तिथि जिनपर उनकी कृपा हो जाय।
मांसिक  शांति  मिले जन को शनि का दोष दूर हो जाय।।
 
जो भक्त अष्टम  तिथि को महागौरी  की पूजा  करता  है।
राहू दोष निवारण  होता उससे राहू भी उससे डरता है।।
 
नवमी  दिवस  सिद्धिदात्री का, जो केतु दोष  मिटाती है।
मन में पनप रहे दोषों को भक्त के मन से दूर भगाती हैं।।
 
नारी शक्ति की याद दिलाता नवरात्रि का यह पावन पर्व।
हर मां बहन बेटी सुरक्षितहो तबहोगा सफल मनाना पर्व।।
 
तन्धन  से पूजा करें शक्ति का मन में तनिक रखें ना खोट।
पूजा तेरी सफल तब होगी जब नारी मन को लगे न चोट।।

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