Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

आँखों के दोहे (डॉ● शरद नारायण खरे, मंडला, मध्य प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉशरद नारायण खरे के दोहे  जिसका शीर्षक है “आँखों के दोहे”:

आँखों से जग देखते,हैं आँखें वरदान।

आँखों में संवेदना,आँखों में अभिमान ।।

 

आँखें करुणामय दिखें,जबआँखों में नीर।

आँखों में अभिव्यक्त हो,औरों के हित पीर।।

 

आँखों में गंभीरता,और कुटिलता ख़ूब।

आँखों में उगती सतत, पावन-नेहिल दूब।।

 

आँखें आँखों से करें,चुपके से संवाद।

उर हो जाते उस घड़ी,सचमुच में आबाद।।

 

आँखें नित सच बोलतीं,दिखता नहीं असत्य।

आँखों के आवेग में,छिपा एक आदित्य।।

 

आँखों में रिश्ता दिखे,आँखों में अहसास।

आँखों में ही आस हो,आँखों में विश्वास।।

 

आँखों में संवेदना,आँखों में अनुबंध।

आँखों आँखों से बनें,नित नूतन संबंध।।

 

आँखों से ही क्रूरता,आँखों से अनुराग।

आँखों से अपनत्व के,गुंजित होते राग।।

 

आँखें पीड़ा,दर्द के,गाती हैं जब गीत।

अश्रु झलकते ,तब रचे शोक भरा संगीत।।

 

आँखें गढ़तीं मान को,आँखें ही अपमान ।

आँखों की भाषा पढ़े,वह नर बहुत सुजान ।।

 

आँखों में छिपकर रहें,जाने कितने  राज़ ।

आँखें हैं यदि ज्योति बिन,तो नर बिन सुर,साज़।।

 

आँखों में हो दिव्यता,दिखते तीनों काल।

आँखें देखें यदि मलिन,जीवन बने बवाल।।

 

आँखों को नैतिक रखें,तो मिलता उत्कर्ष।

आँखें नेहिल तो मिले,जीवन में नित हर्ष ।।

Post a Comment

0 Comments