पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद
पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल
फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
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है। आज
आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रंजना बरियार की एक कविता जिसका
शीर्षक है “माता ब्रह्मचारिणी”:
महाशक्ति माता ब्रह्मचारिणी,
सर्व विधा जननी,
तपश्चारिणी,
अधिष्ठात्री,सर्वाबाधा विनिर्मुक्ता,
कोटि कोटि अर्पण वंदन हे माता!
दाहिने हाथ लिए जप
की माला,
बाएँ हाथ में थामें कमण्डल
जल,
देती तुम उपासकों को बल अनंत,
पूर्ण वैराग्य,संयम,त्याग तेरा मंत्र!
है जगत जननी,तेरा भुवन है संतप्त,
रक्तबीजों से उद्भव असंख्य कंटक,
बेशुमार ताण्डव हो रहे यहाँ असह्य,
संतति तेरे हुए मंत्र मुक्त नियंत्रण!
शुम्भ निशुंभ, चंड मुण्ड हैं
विमुक्त,
महिसासुर थामें कृपाण भी दृष्टव्य,
शोणित बीज हरनी, रक्ताम्बर धारी,
हो कृपाण विमुक्त, नहीं ये तेरे सुत!
बेटियाँ होती बेज़ार माँ के दरबार में,
दिया जो तुमने उन्नत मस्तिष्क उन्हें,
ज़मीन्दोज होने को
हो रही विवश,
हे खपड़ धारी माँ,तुम्हीं करो निदान!
हे ब्रह्मचारिणी माँ,
पिनाकधारिणी,
हे कनकोत्तम कांति, भवानी रूद्राणी,
हे सिंह वाहिनी,माँ दुर्गे दुर्गतिनाशिनी,
करो उपाय,तम का क़हर है बेहिसाब!
करो उपाय,तम का क़हर है बेहिसाब!
करो उपाय, तम का क़हर है बेहिसाब!
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