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कविता: नौ देवियों की महिमा (गीता परिहार, अयोध्या, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार गीता परिहार  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “नौ देवियों की महिमा”:
 
मां शैलपुत्री
हिमालय सुता
जगतारिणी
वृषाऋढा ,त्रिशूल धारिणी।
 
ब्रह्मचारिणी ब्रह्म स्वरूपा
मनोहारिणी
तपश्चारिणी
सर्वसिद्धि प्रदायिनी।
 
चंद्रघंटा विस्मयकारी
खड्ग धारिणी
विपदा दूर कर
इहलोक-परलोक सुधारिणी।
 
कुष्मांडा देवी शुभदात्री
ब्रह्मांड रचयिता
सिंह सवारी
दुख क्लेश निवारिणी।
 
स्कंद  माता
पद्मासना
जगजननी,शुभदायिनी
भवसागर तारिणी।
 
कात्यायनी मनोरथ पूर्णा
मंगलकारिणी
रोग, शोक, संताप, भय हरिणी
अमोघ फलदायिनी ।
 
काल रात्रि कपालिनी
त्रिनेत्रा, शुभंकरी
दुष्ट दमना
भवभय निवारिणि।
 
महागौरी गौरवर्णी
श्वेताम्बरधरा
तन धवला,मन धवला
अमोघ फलदायिनी।
 
सिद्धिदात्री मोक्षदायिनी
भक्त प्रिया हितकारिणि
सिद्धि,सौभाग्य दायिनी।

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