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कविता: वात्सल्य भरा वो पहला स्पर्श (नीतू झा, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीतू झा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “वात्सल्य भरा वो पहला स्पर्श”:

तेरे हाथों का वह पहला स्पर्श
तेरी चमकती आंखों से मुझे गौर से देखना,
वो पहली बार जब मेरी आंखें तेरे चेहरे पर टिक गई थी ,
जब तेरे स्नेहिल स्पर्श से मैं वात्सल्य रस में भींग गई थी।
वो पहली बार जब तू मेरे चेहरे को,
अपने नन्हें हाथों में भर कर अनवरत देख रहा था ,
मेरे गालों पर ढुलकते आंसुओं को पोछ रहा था,
ऐसा लग रहा था जैसे बिन बोले बहुत कुछ कह रहा था।
न कोई गीत न कोई लफ्ज ,
न कोई शोर ना कोई बात।
उस खामोशी में उन मासूम
आँखों से,
अपनी  निश्छल मुस्कुराहट
से,
माँ से कह रहा था
न जाने कितनी सारी बात!!
तू मुझे सुन रहा था और
मैं तुझे सुन रही थी और
समझ रहे थे एक दूसरे के अनकहे जज्बात।