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कविता: दो पल साथ (पूजा रॉय, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार पूजा रॉय की एक कविता  जिसका शीर्षक है “दो पल साथ”:

चार दिन की ज़िन्दगी में,
दो पल साथ निभा लेते तो क्या था |
सुख दुःख तो सफर हैं ज़िन्दगी का,
सफर में तुम न घबराते तो क्या था |
तुम्हारे हर दर्द को समझा मैने अपना,
तुम भी मुझपर हक जता पाते तो क्या था |
सारी दुनिया से रूठकर तुम्हारे पास आये थे,
तुम भी अपने दर्द मुझ तक लाते तो क्या था |
ता उम्र समझा हमने तुमको अपना,
तुम भी हमे अपना कह  पाते तो क्या था |
लम्हे बदले लहजे बदले,
जज़्बात न बदलते तो क्या था |
ज़िन्दगी के सफर मे तुम्हें हमसफर समझ बैठे,
तुम बस हमराही समझ लेते तो क्या था |
यु तो दर्द बहुत है ज़िन्दगी मे,
तुम भी थोड़ा दे देते तो क्या था |
दुआऐ तो बहुत की थी, मैने तुम्हारे हक मे ,
तुम बददुआ ही कर लेते तो क्या था |
चार दिन की ज़िन्दगी में ,
दो पल साथ निभा लेते तो क्या था |