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कविता : सदी का सबसे बड़ा अनुष्ठान: जय श्री राम....जय श्री राम (नूतन गर्ग, आई०पी०एक्सटैंशन, पूर्वी दिल्ली)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है।  आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नूतन गर्ग की एक कविता जिसका शीर्षक है "सदी का सबसे बड़ा अनुष्ठान: जय श्री राम....जय श्री राम":

सदियों बाद यह शुभ घड़ी है आई,

कूर्म शिला के ठीक ऊपर रामलला विराजे,

अयोध्या में बना इतिहास आज़,

करोड़ों रामभक्त हुए गवाह।

 

नवरत्नों से सजे रामलला आज़,

पांच शताब्दियों के बाद आया यह शुभ दिन,

रामलला के सामने हुए नतमस्तक सब,

गौरव का अहसास हुआ जाग्रत आज़।

 

खत्म हुआ अब इंतजार आज़,

किया साष्टांग प्रणाम रामलला के सम्मुख,

अब टाट नहीं ठाठ से विराजे मोरे राम,

सबका साथ सबका हाथ।

 

सदी का सबसे बड़ा अनुष्ठान,

जय श्री राम....जय श्री राम।