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कविता: ।।कौन हो तुम?।। (अभिषेक पाण्डेय, हावड़ा, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार अभिषेक पाण्डेय की एक कविता  जिसका शीर्षक है “।।कौन हो तुम?।।”:

 
तोड़ कर मरोड़ कर
घोर चीत्कार से नाता जोड़कर
फेंक आये हो मुझे
दूर-दूर तक सुनाई न देने वाली
कहीं किसी ध्वनि विहीन क्षेत्र में।
 
कौन हो तुम..?
 
कहीं तुम उनमें से तो नहीं
जिन्होंने मुझे जनमते ही
कूड़े के हवाले किया तो
कुछ ने तो गर्भ में ही
मृत्युदान दिया?
 
कहीं तुम उन्हीं में से तो नहीं
जिसने मेरी 'ना' की
अस्वीकृति को बारम्बार कुचला
अपने पुरुषत्व रूपी
विजय के लिए?
 
या तुम वो हो
जिसे मैं प्यार से
चाचा बुलाया करती थी
और तुमने एक चॉकलेट के बहाने
मुझे एक दर्दनाक चीख भेंट की?
 
अरे!
कहीं तुम वही तो नहीं
जो वीडियो बनाता रहा
और मेरी इज़्ज़त
सरेआम लूटती रही?
 
'वह' मैं ही थी..
 
हर जगह
तुम्हारी लालसाओं और
इच्छाओं की पूर्ति हेतु
हमेशा से रौंदी जाने वाली
'वह' मैं ही थी..।
 
'अब्दुल'
की बेटी सलमा
और 'मिश्रा' जी
की गुड़िया भी
'वह' मैं ही थी..
 
वो..
वो जो तुमने जिसके लिए
शादी के सपने देख रखें हैं न?
जो तुम्हें पापा कह कर
बुलाया करती है, 'वह' मैं ही हूँ..
 
पर तुम कौन हो..?
 
मुझे कूड़ेदान में
फेंक आने वाले?
या गर्भ में ही मुझे
अकाल मृत्यु देने वाले?
खुलेआम मेरी इज़्ज़त को
खिलौनों की भांति तोड़नेवाले?
या हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर
मुझे नोचने वाले..?
 
ओह!
मैं तो 'वही' हूँ
पर तुम कौन हो?
 
तुम्हारी इस बदबूदार और
घटिया नस्ल को मैं अब तक
जान न पायी,
पर सच कहूँ तो
मैं तुम्हें जानना भी नहीं चाहती
तुम्हें कोई नाम भी
नहीं देना चाहती क्योंकि
तुम्हें जीना होगा
नर्क से भी बत्तर जिंदगी को,
कभी न खत्म होने वाले
अश्वत्थामा के उस कोढ़ को।