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कविता: महाभारत के मेरे मुरलीधर (डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह "सहज़", हरदा, मध्यप्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
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तुम्हारा प्यार दुआ पापा आगे जो बड़ी हुं मैं ।
तुम्हारे सुख दुख में हर वक्त साथ हूँ मैं ।
मैंअरमान हूँ पापा का ममता हूँ मेरी मम्मी की ।
गुड़िया हूँ अपने भैया की बहनों की परी हूँ मैं ।
आंखें जो देखें मेरी पल मे ही समझ जाते हैं ।
पापा और मम्मी की मुहब्बत की कहानी मैं हूं ।
नन्हीं सी मैं चिड़ियामैरे परों को न कतर देना ।
माँ कभी दुर्गा कभी बहना और बेटी मैं हूँ ।
इज्ज़त बचा लेना महाभारत के मेरे मुरलीधर ।
इंसानियत के डर से भैया चुपचाप खड़ी हूँ मैं ।
मुश्ताक ये कैसा बस उपकार है मुझपर ।
जिंदा जली और कभी गर्भ में ही मरी हूं मै ।

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