पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह
"सहज़" की एक कविता जिसका शीर्षक है “महाभारत के मेरे मुरलीधर”:
तुम्हारा प्यार दुआ पापा आगे जो बड़ी हुं मैं ।
तुम्हारे सुख दुख में हर वक्त साथ हूँ मैं ।
मैंअरमान हूँ पापा का ममता हूँ मेरी मम्मी की ।
गुड़िया हूँ अपने भैया की बहनों की परी हूँ मैं ।
आंखें जो देखें मेरी पल मे ही समझ जाते हैं ।
पापा और मम्मी की मुहब्बत की कहानी मैं हूं ।
नन्हीं सी मैं चिड़ियामैरे परों को न कतर देना ।
माँ कभी दुर्गा कभी बहना और बेटी मैं हूँ ।
इज्ज़त बचा लेना महाभारत के मेरे मुरलीधर ।
इंसानियत के डर से भैया चुपचाप खड़ी हूँ मैं ।
मुश्ताक ये कैसा बस उपकार है मुझपर ।
जिंदा जली और कभी गर्भ में ही मरी हूं मै ।


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