पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार मईनुदीन कोहरी "नाचीज़ बीकानेरी” की एक कविता जिसका शीर्षक है “बुढ़ापो”:
बुढापो तो सगलां नैं आसी ।
ओ' बुढापो तो घणो दोरो रे ।।
उठणो-बैठणो घणो दोरो रे ।।
जीवण तो जीणो घणो दोरो रे।।
बुढापो में तो जीणो नीं सोरो रे ।।
बुढापै सूं सीख नीं ली तो दोरो रे ।।
थांरो बुढापो भी हुंवसी सोरो रे ।।


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