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कविता: अधूरी सी दास्तान (चाँदनी साहू, बिन्नागुड़ी चाय बगान, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार चाँदनी साहू की एक कविता जिसका शीर्षक है "अधूरी सी दास्तान":

हमने बहाने से 
तस्वीरें बदल दी थी
पर वक्त का तक़ाज़ा देखो
तस्वीरें बदल गयी पर एहसास ना बदले
गुमनामी की दुनिया जी रहे थे
ना शिकवा था ना शिकायतें थी किसी से
बेपनाह मोहब्बत किए जा रहे थे अपने आप से
किसी दिन किसी मोड़ पर मुलाकात होगी
कुछ धुंधली सी यादें है जो फिर तरो ताजा होगी
नज़र भर देखने को तरसी निगाहें
यूँ मिलते ही पलकें झुका लेंगी
छोड़ गए थे कभी हमें दो राहों में
कैसे उसपर फिर से ऐतबार कर ले
गलती से भी वो गलती दुबारा ना करेंगे
जिसकी कीमत हमें बरसों चुकानी पड़ी थी
सदियों देखी राह हमने जिसके आने की
कई रातें भी गुजरी जिसके इन्तजार में
वो हरजाई मसरूफ़ था अपनी रंगीन शामों में
देकर दर्द हमें जिन्दगी भर का 
खुद के जीवन को फूलों से सजाया था
खुद के किए फैसले पर आज हमें फिर रोना आया
चाहा था जिसे हमने कभी जान से भी ज्यादा
उसे किसी और की बाहों में लिपटा पाया
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