Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: माँ (गरिमा मिश्रा, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार गरिमा मिश्रा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “माँ”:

देवी जैसी मेरी माँ,
सारे जग से न्यारी माँ।
चलना हमे सिखाती माँ,
मंजिल हमे दिखाती माँ।
भगवान की छवि कहलाती माँ,
ममता की मूरत होती है माँ।
दुनिया मे अनमोल है माँ,
प्यारी जग से न्यारी माँ।
सचमुच परमात्मा की आत्मा होती है माँ,
जीता जागता एक अद्भुत करिश्मा है माँ।
हमारी खुशी में खुश हो जाती है माँ,
हमारी दुःख में आँसू बहाती माँ।
त्याग, तपस्या, सेवा है माँ,
जिंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है माँ।
अपने होंठों की हँसी हम पर लुटा देती माँ,
हमारी खुशियों में शामिल होकर अपने गम को भुला देती है माँ।
ईश्वर का सबसे सुंदर अवतार है माँ,
जीवन के सुने उपवन में बहार है माँ।
पूरे जग में सबसे सुंदर रूप है माँ,
सबसे न्यारी सबसे प्यारी मेरी माँ।