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कविता: मैं नारी हूं (मधु प्रसाद, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
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हा मैं नारी हूं ,
मुझे शर्म नहीं आती हैं ।
बल्कि..........
मुझे गर्व होता है
अपने आप पर
कि मैं जननी हूं।
इस सृष्टि की
पुरुष प्रधान समाज में
मै अबला नारी नहीं रही
क्योंकी मैं प्रतिरोध करना सीख गई
इसलिए........
अब मैं सभ्य नारी हो गई हूं।
अत्याचार  को सहन नहीं करती हूं,
बल्कि उसका विरोध करती हूं।
मैंने अपनी आंखो को
भेड़िए की आंख की तरह शुर्ख की हूं ,
ताकि मैं हर मुश्किल का,
डट कर सामना कर सकूंगी ।
हा मैं नारी हूं।