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कविता: उलझन (पूजा रॉय, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
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जो लफ्ज न समझ सका,
वो एहसास क्या समझेगा |
      जिसका वास्ता हैं बस हकीकत से ,
       मेरे ख़्वाब क्या समझेगा |
जिसने चाहा मुझे गैरो की तरह ,
वो मेरे जज़्बात क्या समझेगा |
      जो समझता हो बस अपनी उलझन,
      मेरे हालात क्या समझेगा |
जो लफ्ज न समझ सका,
वो एहसास क्या समझेगा |