पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार दुर्गादत पाण्डेय की एक कविता जिसका
शीर्षक है “ये हकीकत है”:
ये सच है, आज के कुछ पल
जहाँ हर - बार दिखाए जाते हैं
वो झूठे सपनें
प्यार की अँधेरी आड़ में
सिखाए जा रहे
नफरतों के हर वो आयाम
सरेआम जलाए जा रहे
गरीबों के घर
ये हकीकत है
लड़ रहे एक दूसरे से,
जिस तरह.....
खुद की गोली
अपनों को ही निशाना बनाए
जबरन सिखाए जा रहे
उन राहों पर चलना
जहाँ प्यार की राहें
नफरतों में बदल दी गईं हैं
अपनों की साजिशें,
कुछ इस कदर बढ रही हैं
जिस तरह सांसे, धड़कनों से
अलग हो जाए
ये हकीकत है
सरेआम दिखाई दे रहे, वो सच
पर दिखाए जा रहे
कुछ और ही सच
हर - पल पक रही सियासी खिचड़ी,
प्रगति के पथ
चुनावी वादे कुछ इस कदर
खोखले साबित हो रहे
जिस तरह, गुबारों में भरे
हवा से उम्मीद रखना
ये हकीकत है
जी रहे वो गरीब
न तन पर कपड़ा,
न रहने को घर है, नसीब
पर इनकी गरीबी, यहाँ
कुछ इस कदर छुपाए जा रहे
जिस तरह बादलों द्वारा
कुछ पल के लिए सूरज को छुपाना
ये हकीकत है !!