पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार निशा गुप्ता की एक कविता जिसका शीर्षक है “शुक्रिया रब”:
क्या हुआ जो मोटर गाड़ी नहीं है
शुक्रिया रब,
साईकिल भी गाड़ी से क्या कम है?
क्या हुआ जो बंगला मकान नहीं है
शुक्रिया रब,
फुस का घर भी बंगला से क्या कम है?
क्या हुआ जो परिवार को गाड़ियों में घूमा नहीं सकता
शुक्रिया रब,
साईकिल में घुमाना भी गाड़ी से क्या कम है?
क्या हुआ जो बच्चो को नए खिलौने दिला नहीं सकता
शुक्रिया रब,
टूटे पुराने खिलौने भी नए से क्या कम है?
क्या हुआ जो मै अफसर नहीं हूं
शुक्रिया रब,
छोटा मोटा काम भी अफसर से क्या कम है?
क्या हुआ जो अमीर नहीं हूं
शुक्रिया रब,
निर्धन होकर भी अमीरों से क्या कम हूं?
सोच जैसी रखो तो खुशियां मुठ्ठी में
शुक्रिया रब,
शुक्रिया रब,
शुक्रिया रब,
शुक्रिया रब,
शुक्रिया रब,
शुक्रिया रब,


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