पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार कल्पना गुप्ता "रतन" की एक कविता जिसका शीर्षक है “रैन बसेरा”:
आत्माएं हैं मर चुकी
रुह सबकी है बेचैन
अहम और दंब के रुप
मैं बस गया है शैतान।
अब घर में बातें नहीं
हो गए हैं सब मौन
चुप्पी साद सब हैं बैठे
बेचैनी से भरा रोम रोम
शांत से दिखने वाला
हो जाए कब अशांत
आ जाए कब सुनामी
कब हो जाएं खट्टे दांत
कोरोना कह रहा बार-बार
मत एक दूसरे पर करो वार
कहर बन आया हूं मैं
घर बैठो, ना करो एतबार
घर अब रहे घर नहीं
इंटर पत्थर के बने मकान
संवेदनाएं हो गई है शुन्य
दिल हो चुके हैं वीरान
घर बने हैं रैन बसेरा
खो गई है पहचान
गेट के अंदर घुसने से
पहले पढ़ते हैं सावधान
अलंकार अब मिट चुके
जिन से बनते थे खानदान
सर्वोच्च कार्य करना ही होती
थी उनके परिवार की पहचान
बड़े बुजुर्गों की बात रखनी
ही होती थी जिनकी शान
नौजवान उस घर मर मिटते
बचाने खानदान की आन बान
रिश्ते हो गए वीरान
मिट गया सम्मान
पैसा और प्रॉपर्टी
ही है सबकी जान
एक दूसरे पर करें प्रहार
ले कर छुरी व तलवार
शत्रु की हो रही जैकार
खून के रिश्ते दिल से बाहर
अभी भी है बचा समय
संभल जाओ अब प्यारों
आगे आएगा कैसा वक्त
नहीं मालूम किसी को यारों।
रुह सबकी है बेचैन
अहम और दंब के रुप
मैं बस गया है शैतान।
अब घर में बातें नहीं
हो गए हैं सब मौन
चुप्पी साद सब हैं बैठे
बेचैनी से भरा रोम रोम
शांत से दिखने वाला
हो जाए कब अशांत
आ जाए कब सुनामी
कब हो जाएं खट्टे दांत
कोरोना कह रहा बार-बार
मत एक दूसरे पर करो वार
कहर बन आया हूं मैं
घर बैठो, ना करो एतबार
घर अब रहे घर नहीं
इंटर पत्थर के बने मकान
संवेदनाएं हो गई है शुन्य
दिल हो चुके हैं वीरान
घर बने हैं रैन बसेरा
खो गई है पहचान
गेट के अंदर घुसने से
पहले पढ़ते हैं सावधान
अलंकार अब मिट चुके
जिन से बनते थे खानदान
सर्वोच्च कार्य करना ही होती
थी उनके परिवार की पहचान
बड़े बुजुर्गों की बात रखनी
ही होती थी जिनकी शान
नौजवान उस घर मर मिटते
बचाने खानदान की आन बान
रिश्ते हो गए वीरान
मिट गया सम्मान
पैसा और प्रॉपर्टी
ही है सबकी जान
एक दूसरे पर करें प्रहार
ले कर छुरी व तलवार
शत्रु की हो रही जैकार
खून के रिश्ते दिल से बाहर
संभल जाओ अब प्यारों
आगे आएगा कैसा वक्त
नहीं मालूम किसी को यारों।