पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद
पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल
फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
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है। आज
आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सीमा गर्ग मंजरी की “माता रानी की आरती”:
हे जगजननी तेरी
आरती गाऊँ,
आरती गाऊँ मैया
तुमको रिझाऊँ!
ऊँचे पर्वत
माँ ने
दरबार सजाया ,
कष्ट सहते भक्तों का मन हर्षाया !
दरसन की आशा
मनअति प्यासा,
देकर दर्शन पूरण
करो अभिलाषा!
सातों जन्म मैया
तेरे ही गुण गाऊँ,
हे रसधारी ! तेरी आरती
गाऊँ!
लाल लाल चोला
लाल चुनरिया,
गोटा सितारों से
जडी रे लहरिया!
चूड़ियाँ
बिंदिया चमचम चमके,
नयनों से मैया के
स्नेहरस छलके!
झाँकी निरख अति
आनन्द पाऊँ ,
हे आदिभवानी!तेरी
आरती गाऊँ!
सिंह पे सवार
होके आई भवानी,
अष्टभुजी माता
नवरुप कल्याणी!
खड्ग
त्रिशूल धारी खप्परवाली,
भक्तों की झोली
भरती माँ खाली!
पान सुपारी
नारियल भेंट चढ़ाऊँ ,
हलवा पूरी मेवे
फल भोग लगाऊँ!
अखंड ज्योति में
मैया शक्ति समाई,
भक्तों के दुखड़े
दूर करें महामाई!
असुर अधम अरि
अभिमानी मारे,
मधु कैटभ रक्तबीज शंखन
संहारे!
चरण कमल में नित
शीश झुकाऊँ ,
हे
दुर्गतिनाशिनी! तुमको रिझाऊँ !
त्रिलोक तुम्हारे
नित गुण गाता,
ब्रह्मा
महेश सुरेश शारदा
ध्याता!
मोहमाया से माता
फंद छुड़ाओ,
'मंजरी'शरण में सुधा रस बरसाओ!
वरदहस्त दो मुक्ति
पद फल पाऊँ,
हे महामाया !
तेरी आरती गाऊँ!!


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