पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार साक्षी यादव की एक कविता जिसका शीर्षक है “मंजिल”:
इस कशिश में अपनी
मंजिल तक पहुंचना इतना आसान नहीं है,
इस भाग दौड़ के
सफर में ठहरना इतना आसान नहीं है,
अपने अपनों को
रौंदते आगे बढ़ जाते हैं,
पीछे मुड़ कर
देखना इतना आसान नहीं है,
जिस नौकरी की आशा
लगाए मेरा पूरा घर बैठा है
उस नौकरी को
आसानी से पाना इतना आसान नहीं है,
इंटरव्यू देते
देते चप्पलें घिस जाती है,
चलती बस में
धक्का खाना,
रात की नींदों का गायब सा हो जाना,
सांस लेते वक़्त
भी अपनी अंधेरे जैसी अगली सुबह पर उम्मीद लगाना इतना आसान नहीं है,
इस कशिश में अपनी
मंजिल तक पहुंचना इतना आसान नहीं है।।


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