पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार सुरेन्द्र 'सागर' की एक ग़ज़ल:
मिजाज अब शायराना
चल रहा है
ग़ज़ल सुनना सुनाना चल रहा है/1
मुहब्बत हो भी
जाएगी कभी तो
अगर अब दोस्ताना चल रहा है/2
कभी तो
होंगे ये अरमान
पूरे
अभी मिलना मिलाना चल रहा है /3
मिलेंगे वक्त आने
दो हमारा
बहाना ये पुराना चल रहा है/4
कभी तो मुझसे
मिलने आ भी जाओ
ये मौसम भी सुहाना चल रहा है/5
तलब कितनी है 'सागर' क्या कहें हम
फ़क़त ये आना-जाना चल रहा है/6
ग़ज़ल सुनना सुनाना चल रहा है/1
अगर अब दोस्ताना चल रहा है/2
अभी मिलना मिलाना चल रहा है /3
बहाना ये पुराना चल रहा है/4
ये मौसम भी सुहाना चल रहा है/5
फ़क़त ये आना-जाना चल रहा है/6


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