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ग़ज़ल (सुरेन्द्र 'सागर', हांसी, हिसार, हरियाणा)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सुरेन्द्र 'सागर' की एक ग़ज़ल:
 
मिजाज अब शायराना चल रहा है
ग़ज़ल  सुनना  सुनाना चल रहा है/1
 
मुहब्बत हो भी जाएगी कभी तो
अगर अब दोस्ताना चल रहा है/2
 
कभी  तो  होंगे  ये  अरमान  पूरे
अभी मिलना मिलाना चल रहा है /3
 
मिलेंगे वक्त आने दो हमारा
बहाना ये पुराना चल रहा है/4
 
कभी तो मुझसे मिलने आ भी जाओ
ये  मौसम  भी  सुहाना  चल  रहा  है/5
 
तलब कितनी है 'सागर' क्या कहें हम
फ़क़त  ये  आना-जाना  चल  रहा है/6

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