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कहानी: हुनर (सीमा गर्ग मंजरी, मेरठ, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सीमा गर्ग मंजरी की एक कहानी  जिसका शीर्षक है “हुनर":

 
"जब देखो तब मोबाइल लेकर उसमें उँगली करता रहता है । पढाई करने कब बैठेगा विनय ?"
परीक्षायें सिर पर हैं।"
कमरे में प्रवेश करते ही माँ ने विनय को जोरदार डाँट लगाई ।
"हाँ माँ ! बस पढ ही रहा था ।"
"विज्ञान के एक प्रश्न का जवाब नहीं मिल रहा था तो उसे ही नेट पर खोज रहा था ।"
कहते हुये विनय विज्ञान की किताब लेकर पढ़ने बैठ गया ।
सातवीं कक्षा का होनहार छात्र विनय हमेशा कक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त करता था । विज्ञान विषय में विशेष रुचि होने के कारण उसे सरकारी वजीफा मिलता था । पढाई के साथ समय मिलने पर विनय का तेज दिमाग किसी न किसी नये आविष्कार हेतु खोज बीन मेंं लगा रहता था ।विनय के हुनरमंद दिमाग की कदर सभी करते थे । विनय के पापा सदैव उसका उत्साहवर्धन करते और उसे प्रेरित किया करते थे ।
 
अच्छे भले लम्बे चौड़े कमरे को उसने अपनी वर्कशाप का रूप दे रखा था । उसी कमरे में विनय ने बहुत सा अजीबोगरीब उपयोगी सामान इकट्ठा कर रखा था ।कई प्रकार के छोटे बड़े कलपुर्जों से एक संदूक भरा रखा था। छोटी बड़ी अनेक इंजन मशीन पेचकश, हथोडी, पाना,स्क्रु ड्राइवर, प्लास, बहुत से भाँति-भाँति के औजार भरे पड़े थे । इसके अलावा गाड़ी के बोनट, गाड़ी के मर्गार्ड, चैन,छोटी बड़ी सीट अनेक साइज के पहिए और भी ना जाने क्या-क्या अटरम-शटरम भरा हुआ था ।
"होनहार विरवान के होत चीकने पात!" वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए विनय के अध्यापक गण एवं परिजनों को हमेशा लगता था कि विनय एक दिन अपने खानदान और विद्यालय का नाम जरूर रौशन करेगा!
आज रविवार का अवकाश था । विनय के खोजी दिमाग में सुबह से ही कुछ नवीन विचार हलचल मचा रहे थे ।
आज वह केवल खाना खाने के लिये अपने कमरे में से बाहर निकला और वापस कमरे में जाकर नये अविष्कार खोज में जुट गया ।
 
खुठर! खुठर!!
पुठर! पुठर!!
कमरे में से आती आवाजें सुनकर माँ ने पापा से कहा कि--
"पता नहीं ये विनय भी क्या क्या करता रहता है?
शायद कुछ नया बनाने की जुगत में भिड़ा है जरा आप जाकर देखकर तो आइए ।
"तुम चुपचाप अपना काम करो!"
फालतू टोकाटाकी मत करो ।
"वो जो भी कर रहा है
उसे करने दो!"
विनय के पापा का सपाट जबाब सुनकर माँ अपने काम में व्यस्त हो गयी ।
 
आखिर विनय की महीनों की मेहनत आज रंग ले आयी। विनय अचानक खुशी से उछल पड़ा । उसकी हर्षोल्लास भरी आवाज सुनकर मम्मी पापा भी दौडकर कमरे में पहुँचे तो देखकर वे भी खुशी से फूले नहीं समाये । वे दोनों विनय के तेज दिमाग और दूरदर्शी समझ बूझ की सराहना किये बिना नहीं रह सके ।
विनय ने एक सीटर प्रदूषण मुक्त हवा में उड़ने वाली कार का अविष्कार किया था ।
बैटरी चार्ज से उड़ने वाली छोटी सी सुरक्षित कार को हवा में उड़ा कर कहीं भी लाया और ले जाया जा सकता था ।हवा में उड़ान भरने वाली इस छोटी कार के अविष्कार से सड़कों पर लगने वाले आवागमन के जाम से छुटकारा मिल जाएगा ।
सड़क दुर्घटना में भी काफी हद तक रोक लगाई जा सकेगी ।
अपने होनहार बेटे का कमाल देखकर उसके पापा मम्मी की आँखों में हर्षातिरेक से आँसू तैर रहे थे ।
विनय के कमाल के दूरदर्शी अविष्कार की सराहना चहुँओर फैल गयीं ।
अनेक आयोजनों में "हमारे देश का अद्भुत नन्हा इंजीनियर "कहकर उसे सम्मानित किया गया । पूरे देश में विनय के नाम की धूम मच गई । शासन ने भी विनय के बुद्धि चातुर्य को हाथों-हाथ लिया प्रशासन की ओर से सरकारी वजीफे के साथ उसे आगे पढ़ने और बढ़ने की सुविधायें प्रदान की गई ।
विनय के हुनर का कमाल था कि उसे विदेशी यूनिवर्सिटी से पढाई करने के लिये बुलवा भेजा गया ।

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