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कविता: मुस्कुराना चाहिए (नीलम सिंह, आसनसोल, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीलम सिंह की एक कविता  जिसका शीर्षक है “मुस्कुराना चाहिए”:

कुछ गम के घटाओं को चेहरे से
अवश्य ही मिटा देना चाहिए,
आंखों में कुछ सुनहले ख्वाबों को
फिर से सजा लेना चाहिए,
अपने पंखों को उड़ान देने के लिए
एक खुला आसमां ढूंढना चाहिए,
जीवन मिला है एक ही तो उसे
खुलकर प्रतिपल मुस्कुराना चाहिए।
 
कभी-कभी खुद के लिए भी
व्यस्तता से कुछ पल चुराना चाहिए,
हो गई है कब,क्या खता हमसे
ये स्वयं ही विचारना चाहिए,
खुशियों को तलाशने की नित्य
कोई नई राह खोजनी चाहिए,
जीवन मिला है एक ही तो उसे
खुलकर प्रतिपल मुस्कुराना चाहिए।
 
हर बार दूसरों से ही बेवजह की
कोई उम्मीद न रखनी चाहिए,
पाना है यदि जीवन में कुछ तो
एक लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए,
उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए
अंतिम सांस तक प्रयास करना चाहिए,
जीवन मिला है एक ही तो उसे
खुलकर प्रतिपल मुस्कुराना चाहिए।
 
चुभ जाए राह में कोई कांटा अगर
तो उसे हंसकर निकाल देना चाहिए,
यह जीवनपथ है एक अग्निपथ
इस पर अनवरत बढ़ते जाना चाहिए,
राह में मिल जाए कोई हमसफ़र तो
बेझिझक हाथ थाम लेना चाहिए,
जीवन मिला है एक ही तो उसे
खुलकर प्रतिपल मुस्कुराना चाहिए।