पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉ• राजेन्द्र मिलन की एक कविता जिसका
शीर्षक है “अजल”:
मानस मंथन तो किया बनी नहीं पर बात
धीरे-धीरे ढल गया यौवन का जलजात
कुछ निकले पूरे घुटे अधिक रहे नवजात
शत प्रतिशत सच ही कहा जग भर में विख्यात
मनसा वाचा कर्मणा जीवन की सौगात
मन बन जाता बावरा कर देता उत्पात
तृप्त नहीं मानस-क्षुधा उर करता आघात
होनहार बिरवान के होत चीकने पात


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