पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार राजाराम स्वर्णकार की एक कविता जिसका
शीर्षक है “ये बतला तू कौन है ?”:
म्हारी कविता
अन्यावां सूं भचभेडा कर आगे आवै
चिन्नी सी'क नहीं घबरावै
भूंडी कुचमादी सतावां रा विषदंत उखाडे
दे धंधूणी पटक पछाड़ै म्हारी कविता ।
म्हारी कविता
सतमारग री इण जुगती में
चावै लहूलुहान हुई जावै
मिटणे री नौबत आ जावै
पग पाछा नीं धरै, नहीं बा गोडा टेकै
पक्षपात नीं करै, नीं खुद रा स्वारथ सेके
बस, कविता रो धरम निभावै, म्हारी कविता ।
धरम जिको नित मिनखाचारै री, सखरी मरजादा बांधै
धरम जिको नैतिकता री सीवां ने कदै नीं लांघें
धर्म जिको कविता में घुळ,र नित सबदां री साख बधावै
धर्म जिको मार्ग भटक्योडा लोगां ने रस्ते पर लावै
इसे धरम ने मैं कविता रो अंग बणाऊं
खुद ही रचूं अर खुद ऊण में रच जाऊं ।
रक्तबीज बोवण वाळा रो धरम अलग है
जीका भिडाउ भाठा वां रो करम अलग है
कविता तो मानव मंगळ रो नेम निभावै
कर आतम संवाद समै सूं आगे आवै
संकट में चूड़ी सिंदूर री लाज बचावै
जीवण सारू लोगां में विश्वास जगावै
एक नूंवों संसार रचावै म्हारी कविता
सदा क्रांति रो नाद सुणावै म्हारी कविता ।।