पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार मईनुदीन कोहरी "नाचीज बीकानेरी" की एक राजस्थानी गीत जिसका शीर्षक है "म्हारो ब्याव करा दो नीं":
म्हारो ब्याव करा दो नीं
म्हारो ब्याव करा दो नीं
सुनो सुनो महारो आंगण
बैंड बजा दो नीं.......!
महारो ब्याव करा दो नीं
महारो ब्याव करा दो नीं ....।
सरबाळो बण घणै कोड सूं
आगै आगै रैऊं हूं
मजा मस्करय्यां म्हैं सूं कर
म्हारी सगययां म्हनैं, काळी कुत्ती परणावै है
काळी कुत्ती कांई परणावो,
थे म्हनैं थांरी छोरी थे परणा
दो नीं ......!
महारो ब्याव करा दो नीं
महारो ब्याव करा दो नीं ....
साथीडां रा छोरा-छोरी
पापा-पापा जद कैव्वै
हिंयों हिलोळा लेवै महारो
चर मर-चर मर जी करै
पापा पापा कांई करो थे, म्हनैं
बाबोजी कै बतळावो नीं.....!
महारो ब्याव करा दो नीं
महारो ब्याव करा दो नीं ....
काळजियै में हूक उठै, जद
भातो ले जावंती नैं देखूं हूं
म्हैं भी घुंघटियै रो पट
कद जाणै ,कद खोलूं लो
छोटी-मोटी ,काळी कोजी
जो चावो परणा दो नीं.....!!!
महारो ब्याव करा दो नीं
महारो ब्याव करा दो नीं ....











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