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कविता: हे ईश्वर, सुन ले हमारी करुण पुकार (संजय "सागर" गर्ग, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है।  आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार संजय "सागर" गर्ग की एक कविता जिसका शीर्षक है "हे ईश्वर, सुन ले हमारी करुण पुकार":

अनलॉकिंग का यह नया समय है
चारों तरफ़ उजाला सा लग रहा है
पर अंदर एक घनघोर चुप्पी सी समाई है
जैसे मौत खुद धरती पर उत्तर आयी हो
मानो टूटा फूटा सा लग रहा हो सब
सामाजिक दूरियां निभा तो रहे है सभी
पर दिलो में दूरियां कहीं ज्यादा बन रही
प्रकृति की यह विनाश लीला
कर रही है कितनी माताओं का आंचल गीला
बच्चे, बूढ़े या हो जवान
ना ही बचा है कोई भी प्रांत
हे ईश्वर, सुन ले हमारी यह करुण पुकार
बढ़ा रहे है दोनों हाथ, दे दो थोड़ा सा साथ
शायद तूने दे दिया है यह पैग़ाम
हम कितने भी बढ़ जाए आगे
रहेंगे फिर भी हम इंसान
कोशिश कितनी भी कर ले हम
कुदरत के चाल चक्र को बदलने की
ना बन पाएंगे हम कभी भगवान्
ना बन पाएंगे हम कभी भगवान्।।