पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉ● अर्चना
खण्डेलवाल की एक कविता जिसका शीर्षक है “तुम.....रह सकते थे..........”:
तुम रह सकते थे
हर पल मेरे साथ मेरा अहसास बनकर
जी सकते थे उन पलों को मेरे साथ
जी रही थी जिन्हें मैं तुमसे अलग...
हाँ दूर होकर भी रह सकते थे तुम
पास बहुत पास मेरे....
जब लिख रही थी तुमको
तुम्हें याद करके सोशल मीडिया पर
WhatsApp पर, ट्विटर पर
Facebook पर, मैसेंजर पर
Instagram पर Messenger की स्टोरी पर...
हर जगह पर तुम्हारी ही तो तलाश थी
तुम्हारी उपस्थिति की तलाश..
पर तुमने चुना आवाज को....
जो एक कान से आई, दूसरे से निकल गई
उस आवाज की अनुगूंज नहीं पहुँच पायी
तेरे मेरे दिल तक....
और रह गया एक खालीपन
तेरे होने का, तेरे...... नहीं होने का
इंतजार करती रह गयी
मेरी कविता, कहानी, शेर, गजल सोशल मीडिया पर
तेरी वाह वाह का..... तेरी वाह वाह का....!!!!!