पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार ज्योति कुमारी की एक कविता जिसका
शीर्षक है “रोटी”:
रोटी, ये दो शब्द आश है,
कीमत उनसे पूछो
जरा,
जो इसके बिन
निराश है,
भूखे बच्चों की
करुण चित्कार,
विदीर्ण कर देती
है,
हृदय को बार-बार,
पेट की आग बूझाने
को,
परिवार की आश
पूराने को,
कमरतोड़ मेहनत से,
दो वक्त की रोटी
कमाता है,
अपनों की भूख
मिटाता है,
हर्षित चेहरे देख
फिर,
मन -ही-मन
मुस्काता है,
खून पसीने बहाकर
रोटी,
वह अपनो के लिए
ही कमाता है।
रोटी, ये दो शब्द आश है,