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गीत (देवेन्द्र डहेरिया देशज, सिवनी, मध्यप्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार देवेन्द्र डहेरिया देशज का एक गीत
स्वर्ग से बढ़कर सेज लगे व, दिव्य  लगे आलिंगन है ।
हल्की हल्की ठंड लिए ऋतु, आई शरद सुहावन है ।।
 
जीवन जब भी ग्रीष्म हुआ तो, तुम बन आईं शीतल जल ।
बरस गईं तुम फिर सावन सी, पछुआ के दिन उष्ण विकल ।।
 
मौसम की है चार दिवारी, तू ही  उसका आँगन है ।
हल्की हल्की ठंड लिए ऋतु, आई शरद सुहावन है ।।
 
बैरन पवन छुये जब तन को, अंग अंग उठे कटारे ।
तेरे बिन  तो  ठंडक अब की, लगता जीते जी मारे ।।
छोड़ो जिद अब तो आ जाओमन सम्पूर्ण समर्पण है ।
हल्की हल्की ठंड लिए ऋतुआई शरद सुहावन है ।।
 
छोटे छोटे दिन होंगे पर, आशाएं  हों बड़ी बड़ी ।
शाम ढले में घर आऊँ तो, राह निहारो खड़ी खड़ी ।।
शीत लहर के  दंश लगें ज्यों, गर्म होंठ के चुम्बन हैं ।
हल्की हल्की ठंड लिए ऋतु, आई शरद सुहावन है ।।

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