पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी
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आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार ऋतु गुप्ता की एक कविता जिसका शीर्षक है “करवा चौथ”:
हमसफर के नाम एक पाती प्रेम भरी।
निर्झर निर्मल तेरा प्यार सनम, तेरे प्यार में संवर जाऊं मैं पिया।
इस जीवन रथ की गाड़ी में, हम दो पहिए है जो पिया।
सीता सी मै बनूं सहचरी, राधा सी तुझको भाऊ पिया।
मेरी हर आशा अभिलाषा रोम रोम में बसे तुम हो पिया।
महके जीवन, इस जीवन में ,खुशबू तेरी सदा महके पिया।
किसी बात की क्यों में फिक्र करूं ,जब तुम हो मेरे संग पिया।
तेरे नाम की सगरी खाई मैंने, सदा सुहागन रहूं मैं पिया।
इन आंखों के काजल में तुम , बिंदिया की चमचम तुम हो पिया।
मेरी पायल की हर रूनझुन में ,आती तेरी आहट है पिया।
ओढ़ चुनर तेरे मन को भाऊ, तेरी अर्धांगिनी हूं मैं पिया।
तेरे नाम का करवा चौथ करूं, रहे अक्षत सदा सुहाग मेरा पिया।











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