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ग़ज़ल (विनीता सिंह चौहान, इंदौर, मध्यप्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
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अब कलम क्या नया लिखे।
अल्फाजों में वही दर्द दिखे,
 
धूल पट गई दर अो दीवार पर,
पुरानी यादों का बसेरा दिखे। 
 
आंखों में यादें ज़ज्ब हो गई ,
हर तरफ दर्द का पहरा दिखे
 
घाव  दिए थे जो बरसों पहले ,
निशान आज भी गहरा दिखे।
 
था कभी गुलिस्तान जहां हमारा,
अब बस दश्त ओ सहरा दिखे।
 
हम तो हैं आज भी वही खड़े ,
वक्त यादों के साथ ठहरा दिखे।
 
आंखों को बेवफा अक्श दिखे।
चारो ओर विनीता सन्नाटा पसरा  दिखे।