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कविता: ये नन्हे नन्हे से पग जब तुम्हारे बड़े हो जाएंगे (अंजना यादव, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
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ये  नन्हे नन्हे से पग जब तुम्हारे बड़े हो जाएंगे  मैं तुमको गांव की सैर करवाऊंगी ।
 
गांव की भीनी भीनी सी आती मिट्टी की खुशबू से  मैं तुमको परिचित करवाऊंगी ।
 
हां ये नन्हे नन्हे से पग जब बड़े हो जाएंगे  मैं तुमको गांव की सैर करवाऊंगी।
 
दादा दादी के संस्कारों से मैं तुमको एक महान इंसान बनाऊंगी ।
 
हां ये नन्हे नन्हे से पग जब बड़े हो जाएंगे  मैं तुमको गांव की सैर करवाऊंगी।
 
तालाब से आती फूल की खुशबू से उस दिन मैं तुमको परिचित करवाऊंगी।
 
हां ये नन्हे नन्हे से पग जब बड़े हो जाएंगे मैं तुमको हम गांव की सैर करवाऊंगी।
 
बगीचे में लगे हर पौधे से मैं तुमको उस दिन परिचित करवाऊंगी ।
 
हां ये नन्हे नन्हे से पग जब बड़े हो जाएंगे मैं तुमको गांव की सैर करवाऊंगी।
 
बगीचे में पौधे लगाना उस दिन मैं तुमको बताऊंगी।
 
हां जब ये  नन्हे नन्हे से पग बड़े हो जाएंगे मैं उस दिन तुमको गांव की सैर करवाऊंगी।
 
गांव की मिट्टी की कीमत से उस दिन मैं तुमको परिचित करवाऊंगी।
 
हां ये नन्हे नन्हे से पग जब त बड़े हो जाएंगे मैं तुमको गांव की सैर करवाऊंगी।