पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद
पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल
फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत
है। आज
आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार अंजना यादव की एक कविता जिसका
शीर्षक है “ये नन्हे नन्हे
से पग जब तुम्हारे बड़े हो जाएंगे”:
ये नन्हे नन्हे से पग जब तुम्हारे बड़े हो
जाएंगे मैं तुमको गांव की सैर करवाऊंगी ।
गांव की भीनी
भीनी सी आती मिट्टी की खुशबू से मैं तुमको
परिचित करवाऊंगी ।
हां ये नन्हे
नन्हे से पग जब बड़े हो जाएंगे मैं तुमको
गांव की सैर करवाऊंगी।
दादा दादी के
संस्कारों से मैं तुमको एक महान इंसान बनाऊंगी ।
हां ये नन्हे
नन्हे से पग जब बड़े हो जाएंगे मैं तुमको
गांव की सैर करवाऊंगी।
तालाब से आती फूल
की खुशबू से उस दिन मैं तुमको परिचित करवाऊंगी।
हां ये नन्हे
नन्हे से पग जब बड़े हो जाएंगे मैं तुमको हम गांव की सैर करवाऊंगी।
बगीचे में लगे हर
पौधे से मैं तुमको उस दिन परिचित करवाऊंगी ।
हां ये नन्हे
नन्हे से पग जब बड़े हो जाएंगे मैं तुमको गांव की सैर करवाऊंगी।
बगीचे में पौधे
लगाना उस दिन मैं तुमको बताऊंगी।
हां जब ये नन्हे नन्हे से पग बड़े हो जाएंगे मैं उस दिन
तुमको गांव की सैर करवाऊंगी।
गांव की मिट्टी
की कीमत से उस दिन मैं तुमको परिचित करवाऊंगी।
हां ये नन्हे
नन्हे से पग जब त बड़े हो जाएंगे मैं तुमको गांव की सैर करवाऊंगी।