पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार संजय "सागर" गर्ग की एक कविता जिसका शीर्षक है “अनंत शून्यता”:
उस दिन सावन की
एक शाम थी,
लंबा रास्ता तय
करना था,
मुझे नहीं पता कि
क्या खींच रहा था
या क्या आकर्षित
कर रहा था,
मन केवल अज्ञात
में खो जाना चाहता था,
शायद मुझसे बेहतर
कोई है,
जिससे मिलना था
मुझे,
इंतज़ार था उसका,
उसके पास जा रहा
था,
मुझे डर लग रहा
था,
किसे पता कि क्या
होने वाला है?
क्या मैं उससे
मिलूंगा?
जिसके लिए मैं !
इतने लंबे समय से
इंतजार कर रहा था,
या अनंत शून्यता
की ओर दौड़ रहा था,
माया मृग की तरह,
जो केवल पुकारा
करता है,
अपने पास बुलाता
है,
लेकिन पकड़ में
नहीं आता।