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कविता: मौन आशांति (उत्तीर्णा धर, मालदा, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार उत्तीर्णा धर की एक कविता  जिसका शीर्षक है “मौन आशांति”: 

भीड़-भाड़ सड़क पर,
वाहन चल रहे इधर-उधर ।
कहां गए वह दिन,
खुशी का नहीं है कोई चिन्ह।
कभी हम रुके हुए रहते थे ,
ट्राफिक का आदेश मानते थे ।
अभी घर पर बंद हो गए,
निकल नहीं पाते हैं।
उसी सड़क की याद आती है,
संग किताबों की स्मृतियां लाती हैं ।
अब वह दिन कितना दूर है पता नहीं,
पुस्तकों की दुकान बंद पड़ा होगा अभी।
एक अनजान शहर था वह मेरे लिए,
लेकिन अब परिचित सा हो गया है कुछ दिनों में।
मौन रहकर भी शहर को निहारना,
एक आनंदमयी अनुभूति होता था।
कोरोना नामक विषाणु के आ जाने से ,
यह कैसी 
मौन अशांति फैली है।
 
(शिक्षा प्रतिष्ठान बंद रहने के कारण एक विद्यार्थी की मनोव्यथा)