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कविता: इस प्यार को क्या नाम दु? (शैमी ओझा "लफ्ज", मेहसाना, गुजरात)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
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बहुत दिनों बाद प्यार उमट आया है,
इस प्यार को क्या नाम दे हम ?
न कुछ आपने बोला न हमने बोला,
पर आंखे सब कुछ बोल गई,
इस प्यार को क्या नाम दे हम?
जब आप पास होते हो
तब न जाने क्यों हम आप पें
भडक से जाते है,
पर अकेले हम होते है तो
यादें आपकी न जाने क्यों
हमें क्यु रुला देती है,
इस प्यार को क्या नाम दे हम ?
सिकायते का शिकवा कैसे करे
जनाब साहेब,दिल का हाल कैसे बताये,
इस प्यार को क्या नाम दे हम?
न जाने क्यों हम आपके नाम से सवर जाते है,
बाते तो बहुत करते आपकी ,
पर न जाने क्यों आपको देखते ही
हमारे लफ्ज कुछ रुक से जाते है,
दिल भी हमारे हाथ मैं नहीं रहा
आज कल निंदे उडी हुई है,
बेचेनी दिल दिमाग मैं छाई हुई है,
जरा हमारी गलती तो बतावो,
क्यु हमको प्यार की गली में  खडा कर दिया है.
जनाब साहेब आपकी ए नादानीयत को क्या माने हम,
इस प्यार को क्या नाम दे हम
?