पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद
पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल
फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत
है। आज
आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार महेश सारडा की एक कविता जिसका
शीर्षक है “प्यारी बिटिया”:
ईश्वर का मुझको
ऐसा,
उपहार मिल गया
बेटी मिली तो
जैसे,
संसार मिल गया
घुटनों से चलकर
जब,
कदम होने लगे डग
मग
जी करता था साथ
तेरे,
चलता रहूं पग पग
डग मग क़दमों से
चल,
कब खड़ी हो गईं
प्यारी बिटिया आज
मेरी,
बड़ी हो गईं
हर फिक्र को मेरी,
वो बातों में
घोलती है
दो बोल जब मुझसे,
वो हंसकर बोलती
है
कोशिश सदा रही है,
उसे कोई कभी ना
गम हो
नौबत कभी ना आये,
आंखें भी उसकी नम
हो
बहती हुई दरिया
सी हुआ करती है
बेटियां तो
परियां सी हुआ करती है
बाप का दिल भी एक
समन्दर होता है
हर दरिया उसके
दिल के अन्दर होता है